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Friday 12 December 2014

हमने कोशिश करके देखी | ग़ज़ल


हमने कोशिश करके देखी ......



हमने कोशिश करके देखी पत्थर को पिघलाने की
पत्थर कभी नहीं पिघले अब मानी बात जमाने की। 



हमने कोशिश करके देखी दुश्मन यार बनाने की
दुश्मन कभी ना यार बने ये बात है सोलह आने की। 


उनको भी तो आदत नाही दिल का दर्द बताने की
हमको भी आदत ना नाहक अपनापन जतलाने की ।

हमने भूखों जीना सीखा आदत ना हाथ फैलाने की । 

फिर हम क्यों कोशिश भी करते अपना दर्द बताने 
मिलते ही वो शुरू हो गए अपने दर्द बताने को 
मेरी तो बारी ना आई अपनी बात सुनाने की । 

शायद वो मेरा हो जाता जो मैं दिल की कह पाता 
होती बात है यूं क्या 'रोहित' दिल अपना समझाने की। 

अपना तो है दर्द से रिश्ता भूख-गरीबी से यारी
हर मानव दुखियारा जग में कोई खुशी नही दिखता |

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